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Thursday, December 22, 2016

राजस्थान का गौरव कल्प वृक्ष कहा जाने वाला वृक्ष खेजड़ी (जांटी) है खतरे में ??

 राजस्थान के राज्य वृक्ष  खेजड़ी (जांटी) शब्द और इस पेड़ से राजस्थान में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो  अपरिचित होगा ये हमारा सोभाग्य है कि ये वृक्ष मुख्यरूप से हमारी शेखावाटी क्षेत्र में अधिक मात्रा में पाया जाता है। 
इसे थार का कल्प वृक्ष या राजस्थान का कल्प  वृक्ष भी कहा जाता है। ये राजस्थान का गौरव जहां तक मेरा जानना है  सभी लोग इसके बारे में जानते है  ये  ऐसा वृक्ष है जिसे किसान का मित्र भी कहा जाता है। और इसे राजस्थान का कल्प वृक्ष भी कहते है। इससे हमें जलाने के लिए लकड़ीया मिलती है  तथा पशुओ के चारे के लिए लूंग मिलती है। मिट्टी का कटाव रोकता है। व मुख्या काम थके हारे किसान को ये बैठने के लिए ठंण्डी छाव देता है।इसका  वैज्ञानिक नाम "प्रोसेसिप-सिनेरेरिया" है। इसको 1983 में राज्य वृक्ष घोषित किया गया।ये पेड़ नागौर जिले में सर्वाधिक है। इस वृक्ष की पुजा विजयाशमी/दशहरे पर की जाती है। खेजड़ी के वृक्ष के निचे गोगाजी व झुंझार बाबा का बालाजी का मंदिर/थान बना होता है। खेजड़ी को पंजाबी व हरियाणावी में जांटी व तमिल भाषा में पेयमेय कन्नड़ भाषा में बन्ना-बन्नी, सिंधी भाषा में - धोकड़ा व बिश्नोई सम्प्रदाय के लोग 'शमी' के नाम से जानते है। स्थानीय भाषा में सीमलो कहते हैं।

खेजडी की हरी फली-सांगरी, सुखी फली- खोखा, व पत्तियों से बना चारा लुंग/लुम कहलाता है।
वैज्ञानिकों ने खेजड़ी के वृक्ष की कुल आयु 5000 वर्ष मानी है। राजस्थान में खेजड़ी के 1000 वर्ष पुराने 2 वृक्ष मिले है।(मांगलियावास गाँव, अजमेर में) ऐसा सुनने में आया है की
पाण्डुओं ने अज्ञातवास के समय अपने अस्त्र-शस्त्र खेजड़ी के वृक्ष पर छिपाये थे।खेजड़ी के लिए राज्य में सर्वप्रथम बलिदान अमृतादेवी के द्वारा सन 1730 में दिया गया। 12 सितम्बर को प्रत्येक वर्ष खेजड़ली दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रथम खेजड़ली दिवस 12 सितम्बर 1978 को मनाया गया था।
आॅपरेशन खेजड़ा की शुरूआत 1991 में हुई।इसका बाहय आवरण इसकी छाल छोड्डे बहुत ही मजबूत होते है जो इसकी जाड़े धूप आदि से रक्षा करते है। जो इसका सुरक्षा वकच है। बाकि आप सब इसके बार में जानते हैं तो इसके बारे में ज्यादा न बताकर मैं अल्प जानकारी देते हुए मैन समस्या पर आता हूं। 
 कमी के कारण सरकार ने इसकी कटाई पर रोक भी लगा  दी है।
इसका एक सबसे बड़ा शत्रु इंसान जो इसे  अपने लोभ वंश काट काट कर बेचता रहा है। पर उस पर तो सरकार ने पांबंदी लगा दी और कुछ मात्रा में इसकी कटाई में कमी भी आयी है। हालांकि लोग अब भी चोरी छीपे इसकी कटाई करते हैं और चोरी छीपे ही बेचते हैं   और आजकल इसका दूसरा और सबसे बड़ा दुश्मन है एक कीड़ा जो खेजड़ी ओ लगता है।इसका नाम सेलेस्ट्रेना(कीड़ा) व ग्लाइकोट्रमा(कवक) है तथा दीमक भी इस पेड़ को काफी नुकसान पहुचती है।
जब मै अपने खेत में बाजरे की फसल की लावणी( कटाई) करने गया तो जब वहा खेत मइ खड़े इन खेजड़ी के पेड़ो को देखा तो दंग रह गया ये क्या इनकी पेड़( तने) पर तो पूरी तरह से दीमक कीड़ा लगा हुआ  है और लगभग वृक्ष सूखने  के कगार  पर  है
ये हालात मेरे  खेत के ही नही  बल्कि आजकल अक्षर हर खेजड़ी  पेड़ पर देखने को मिल रहा है । अगर समय  रहते इसका कोई समुचित उपाय  ही किया गया तो वो दिन दूर नही होगा जब हमारा ये राज्य वृक्ष विलुप्त हो जायेगा। जैसा की फोटो में दिखाई दे रहा है ये दीमक और कीड़ा मेरे ही खेत में खड़ी खेजड़ी को लगा हुवा है और ऐसा ही हाल यहा के इलाके के सभी खेतो की खेजड़ी का है जो इस पेड़ की जड़ से लेकर  तनो तक फैला हुआ है इसकी वजह से इन वृक्षों ने फूटना छोड़ दिया है और सूखने लगे है जो एक चिंता का विषय है।
अब इस दीमक और कीड़े को कैसे रोका जाये ये समझ में ही आ रहा है
और न ही सरकार इस तरफ कोई ध्यान दे रही है
अगर एक मेरे खेत की ये हालत है तो सोचो राजस्थान के इस राज्य वृक्ष की अन्य जगहों पर क्या हालत होगी ये सोच कर मन विचलित हो रहा है कि क्या हमारा गोरव खेजड़ी वृक्ष  लुप्त हो जायेगा?? क्या सरकार की इडको बचाने के लिए कोई ज़िमेदारी नही बनती??
क्या इस दीमक का कोई इलाज नही किया जा सकता??





क्या ये पेड़ यु ही खोखले होते रहेगे और सूखते रहेगे???
क्या अमृता देवी का बलिदान यु ही नष्ट हो जायेगा???




ऐसे कई सवाल मन में आ रहे है। सोचा आपके साथ शेयर करलू आप ही इसका कोई उपाय बता सके और अपने इस गोरव को बचा सके।


वैसे में ये पोस्ट खेजड़ी दिवस 12 सितम्बर  पर ही लिखने वाला था पर समय की व्यस्तता के कारण नही लिख सका फोटो तो काफी समय पहले जब लावणी(बाजरे की फसल कटाई) चल रही तब ही खिच ली थी।

और आपके और सरकार के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा है? 
हमारे इस राज्य वृक्ष को कैसे बचाया जाये इस रोग से??
आप ही कोई समुचित उपाय सुझाये।

अपने राज्य वृक्ष को बचाए कैसे ? इन्सान से बचाया जा सकता है पर प्रकृति की मार से इसे कैसे बचाए??
जरा अपने सुझाव दे


आज के लिए बस इतना ही आगे आपके सुझाव की प्रतीक्षा में....


आपके पढ़ने लायक यहां भी है।

कुछ दोस्त बहुत याद आते है..

  लुप्त होती भारतीय संस्कृति- इसे बचाये पर कैसे ?

लक्ष्य

17 comments:

  1. बहुत अच्छी बात लिखी है। भाई सब को मिलकर प्रयास करना होगा तब इस से निजात मिल पायेगी,अकेला चना भाङ नही फोङ सकता वो ही बात है। गुरू जम्भेशवर भगवान ने कहा था कि 'थोङे मांही थोङेरो दीजे होते नां ना कीजे'अगर सब अपना थोङा थोङा समय निकालकर इस पर विचार करे व अपनी राय साझा करे तो हमारा भी होसला बढेगा और हम इस पर और बेहतर कार्य करने का प्रयत्न कर सके,मेरा सभी भाईयो से अनुरोध है कि अपने किमती समय में से थोङा समय इस धरोहर को बचाने के लिए निकालकर अपने कर्तव्य का सही ढंग से निर्वहन करे
    निवेदक -सीताराम बिश्नोई 9785090029

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  2. Nice point i am held in IntrviewI for Ras so it's very important for me ,,, because in choose in interview my hobbie varksharopn

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  3. nice... Jhunjhunu me bhi kide ne pure pedo ko sukha diya hai

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