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Wednesday, August 8, 2012

फिर लौटकर आयी किसानो की उम्मीद बारिश,बगड़

एक तो पहले की इस वर्ष बारिश देर से हुई और फिर बुआई करने के बाद काफी दिनों तक बारिश नहीं हुई तो किसानों का मनोबल टूटने लगा और मनोबल भी क्यों न टुटे बेचारे किसानों ने इस वर्ष ग्वार के चढ़ते भावों को देखकर अपने खेतों में ज्यादातर ग्वार ही बोया था और ग्वार वो भी बहुत ही मंहगे भाव 400- 500 रूपये किलो के भाव का बीज लाकर बोया था   और ग्वार के साथ साथ  खेत की जुताई ये इतना खर्चा लगाने के बाद बेचारे किसान से   फिर इंन्द्र भगवान रूठ गया  सो ग्वार की फसल  धुप से जलकर निकलने लगीं  लेकिन कहावत  है  "भगवान के घर देर है अंधेर नहीं " सो आज काफी दिनो तक लम्बी खिचने के आज आज फिर किसानों की उम्मीद बारिश लोटकर आयी और फिर लोटी किसानों के चेहरे की रौनक (मुस्कान) अतार्थ आज सुबह जोरदार बारिश हुई  बारिश को देखकर हर किसान बड़े बुढ़े का मन प्रसन्न हो उठा, बारिश इतनी तेज थी की लोगों के घरो दुकानों पानी घुसने लगा

 ये नजारा है पीरामल गेट के पास का जहां मेरी दुकान है मैं पहले भी बता चुका हूं इस इलाके के घर रोड़ से नीचे हीोने के कारण  बारिश का पानी जब भी इकट्ठा होकर बहता है तो वह इस इलाके के लोगों के घरों में घुसने लगता हैं वहीं हुआ पहले तो इन्हे भी बारिश की खुशी लेकिन जब पानी घरों में घुसने  लगा तो कहने लगे भगवान रोक नहीं तो बड़ी परेशानी खड़ी हो जायेगी  ये नजारा रहा आज की बारिश का
 पर कुछ भी हो किसानो के लिये तो ये एक उम्मीद की किरण ही निकल कर आयी अब लगता है ज्यादा भी नहीं तो बेचारों के खेतों में कम से कम खर्चा लगा उतनी तो पैदावार होगा ही
घरों के सामने भरा बारिश का पानी












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